शिक्षक…

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शिक्षक…. सुन्दर सुर सजाने को साज बनाता हूँ । नौसिखिये परिंदों को बाज बनाता हूँ ।। चुपचाप सुनता हूँ शिकायतें सबकी । तब दुनिया बदलने की आवाज बनाता हूँ ।। समंदर तो परखता है हौंसले कश्तियों के । और मैं डूबती कश्तियों को जहाज बनाता हूँ ।। बनाए चाहे चांद पे कोई बुर्ज ए खलीफा । अरे मैं तो कच्ची ईंटों से ही ताज बनाता हूँ ।।

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